उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद भाजपा को कुछेक सीटों पर असंतोष के उभर रहे सुरों से भी दो-चार होना पड़ रहा है इसे देखते हुए भाजपा नेतृत्व राजनीतिक आपदा प्रबंधन में जुट गया है नाराज बताए जा रहे कार्यकर्त्ताओं को साधने के लिए पार्टी के प्रांतीय पदाधिकारियों के साथ ही सांसदों व पूर्व मुख्यमंत्रियों को मोर्चे पर लगा दिया गया है

सूत्रों के मुताबिक यदि मनाने के प्रयास सफल नहीं हुए तो 31 जनवरी को नामांकन प्रक्रिया पूर्ण होने पर पार्टी ऐसे मामलों में सख्त कदम उठाने से भी पीछे नहीं रहेगी आपको बता दे उत्तराखंड में विधानसभा की सभी 70 सीटों पर भाजपा अपने प्रत्याशी घोषित कर चुकी है लेकिन कुछेक सीटों पर पार्टी के निर्णय के विरुद्ध असंतोष के सुर भी लगातार उभर रहे हैं पार्टी का कहना था कि यह असंतोष नहीं बल्कि स्वाभाविक तौर पर क्षणिक गुस्सा है यद्यपि पार्टी ने 20 जनवरी को प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होने के तत्काल बाद से ही राजनीतिक आपदा प्रबंधन शुरू कर दिया था

पार्टी के प्रांतीय पदाधिकारियों ने नाराज चल रहे नेताओं व कार्यकर्त्ताओं से निरंतर संपर्क साधकर उन्हें मनाने के प्रयास तेज कर दिए कुछ कार्यकर्त्ताओं से फोन पर संपर्क साधा गया तो कुछ को देहरादून में प्रदेश कार्यालय में बुलाकर बात की गई यही नहीं पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कुछ क्षेत्रों में जाकर स्वयं कार्यकर्त्ताओं की नाराजगी दूर करने का प्रयास किया इस सबके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए ये बात अलग है

कि कुछ सीटों पर असंतोष के भाव अभी कम नहीं हुए हैं अल्मोड़ा रुद्रपुर समेत कुछ अन्य सीटों पर गतिरोध बना हुआ है इसे देखते हुए पार्टी की नजर अब 31 जनवरी को नामांकन प्रक्रिया पूर्ण होने पर लगी है पार्टी सूत्रों के अनुसार पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के विरुद्ध नामांकन दाखिल करने वाले किसी कार्यकर्त्ता ने नाम वापस नहीं लिया या फिर किसी क्षेत्र में असंतोष के सुर थामने में सफलता नहीं मिलती है तो ऐसे कार्यकर्त्ताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा
